Monday, October 26, 2020

Biography of Al Rahmaniya Qabrishtan Bahuara Buzurg

अल-रहमानीया क़ब्रिस्तान बहुआरा बुजुर्ग


बिहार दरभंगा,के ग्राम बहुआरा बुजुर्ग में सेकड़ो साल पुराना विशाल क़ब्रिस्तान हैं जो अल-रहमानीया क़ब्रिस्तान के नाम से जाना जाता है , क़ब्रिस्तान लगभग 8 एकड़ में फैला हुआ है, क़ब्रिस्तान के पूर्वी और दक्षिणी छोर से पहाड़ नुमा भिण्ड बना हुआ है और उस भिण्ड के ऊपर एक नेक़ बुजुर्ग का दरगाह यानी मजार है जिसे लोग खास पीर बाबा के नाम से जानते हैं ये खास पीर बाबा के मजार पर दूरदराज के लोग भी आते हैं ज़ियारत के लिए ?

ईस पहाड़ नुमा भिण्ड के ऊपर काई सारे ईम्ली के पेड़ है जो भिण्ड समेत गाँव की ख़ूबसूरती को चार चांद लगाते हैं

ग्राम बहुआरा बुजुर्ग का अल-रहमानीया क़ब्रिस्तान 1629 ईस्वी मे मौजुद था उस वक़्त के मुग़ल बादशाह शाह-जहाँ का दौर था जो मुग़ल सल्तनत से पांचवे मुग़ल बादशाह थें

अल-रहमानीया क़ब्रिस्तान काफ़ी बड़ा और उंचा होने के कारण बहुआरा बुजुर्ग के अलावा आसपास के गांवों से भी मृत्यु शव/मय्यत ईसी मे दफन होते थें,अब सिर्फ आपातकालीन में होते हैं,जैसे की बाढ़ आने पर
 

सन 1972 के भूमि सर्वेक्षण के बाद बिहार सरकार के तरफ से एक संकेत मिला की क़ब्रिस्तान को सीमित किया जाये

ग्रमीण,क़ब्रिस्तान को सीमित करने के फिक्र में लग गयें और 26 साल बाद 
सन 2001 में सभी ग्रमीणो के मशवरा से क़ब्रिस्तान को पंजीकरण(Registration)के लिए न्यायालय में एक केस दर्ज किया 7 एकड़ 28 दशमलव जमीन पर,
ग्रामीणो के तरफ से केस लड़ने का काम
मोo ओवैस पिता मोo अखतर सहाब को दिया गया था और उनका साथ दे-रहें थें
1 मास्टर अंवारुल हक़ साहब
2 मास्टर मसिहुज्जमा साहब
3 मोहम्मद नज़िम साहब
4 अब्दुश शफ़ी साहब
5 मोहम्मद मसलेहुद्दीन साहब(पिता मोo यतिम)

न्यायालय में केस दर्ज किया 7 एकड़ 28 दशमलव जमीन पर,
परंतु बिहार सरकार के तरफ से आदेश/ केस पास कर पंजीकरण किया 7 एकड़ 75 दशमलव जमीन
इस मे दक्षिण व पश्चिम से 7 एकड़ क़ब्रिस्तान है और यह भी आदेश दिया की 30 दशमलव शमशान घाट(समाधि स्थल)समझा जाए
बांकी रकबा 45 दशमलव  प्रतीवाद यानी सरकारी ही रहा

क़ब्रिस्तान की भूमि विवरण
केस नंम्बर - 919
धारा -106
आदेश की तारिख 14-11-2002
आदेश दीया की खाता सं 723 
खेसरा सं 2371
रकबा 7 एकड़ 75 दशमलव

अल-रहमानीया क़ब्रिस्तान चारो तरफ से खुला होने के कारण बेहुर्मती उठानी पड़ती थी , और ग्रामीणो को ये गवारा नहीं था, क़ब्रिस्तान के सुरक्षा और सही रखरखाव के लिए ग्रमीणो ने सरकार से एक आवेदन पत्र दिया चारो तरफ से सीमा(Boundary) लगाने के लिए,
आवेदन पत्र के अनुसार बिहार सरकार ने एक योजना पास कर दिया क़ब्रिस्तान का सीमा लगाने के लिए

सन 2014/15 मे सरकारी योजनाओं के तहत अल-रहमानीया क़ब्रिस्तान का सीमा (Boundary)लगाया गया : 36,34830 रुपया की लागत से

सीमा यानी बॉन्डरी लगवाने मे योगदानकर्ता व्यक्तियों के नाम
1-मास्टर मसिहुज्जमा साहब
2-मोहम्मद नज़िम साहब
3-अब्दुश शफ़ी साहब

Name of Researchers

1 Amjad Shaikh
2 Tanweer Ahmad(Son of Rafi Ahmad)
Writer : Amjad Shaikh

Website : www.bahuaraabtak.com

Al-Rahmaniya Qabristan Located in the Village Bahuara Buzurg,Darbhanga Bihar-847306

Monday, May 25, 2020

Biography of Al-Farooq jama masjid Bahuara Buzurg,अल-फारूक़ जामा मस्जिद बहुआरा बुजुर्ग की जीवनी

Al-Faraooq jama Masjid Outside View
अल-फारूक़ जामा मस्जिद बहुआरा बुजुर्ग की जीवनी|
बिहार,दरभंगा के ग्राम बहुआरा बुजुर्ग में सैकड़ों साल पुरानी विशाल मस्जिद है जीसे लोग
अल-फारूक़ जामा मस्जिद के नाम से जानते हैं।

मुग़ल बादशाह के जमाने मे बनी अल-फारूक़ जामा मस्जिद का निर्माण 1740 ईस्वी के नज़दीक हुआ था
उस वक़्त के मुग़ल बादशाह मोहम्मद शाह हुआ करते थे जिंका पुरा नाम है
नसीर-उद-दीन मोहम्मद शाह मुगल सल्तनत से बारहवें नम्बर के बादशाह थे (12th Mugal Emperor)

1740 ईस्वी से पहले ईबादत घाह या कोई  मस्जिद नही हुआ करती थी ग्राम बहुआरा बुजुर्ग में उस दौर के भविष्यकाल को देखने और समझने वालें नेक लोगो ने मिलकर अल्लाह की ईबादत के लिए एक छोटे से घर के रुपमे मस्जिद का निर्माण किए मिट्टी का दिवार खड़ा करके छत बंश फुस लकड़ी से तैयार किया और बहुआरा बुजुर्ग के  सभी लोग उसमे ईबादत करना नमाज़ पढ़ना शूरु कर दिया

युहिं काफी अर्से तक चलता रहा धीरे धीरे मस्जिद मे भी परिवर्तन होता रहा परंतु जमीन मस्जिद के नाम पंजीकरण(Registration)नही हुआ था और नही कोई मुतवल्ली तय था।

बिहार के अंदर पहली बार भूमि सर्वेक्षण(Land Survey) हुआ 1898 ईस्वी मे
1898 ईस्वी के भूमि सर्वेक्षण मे अल-फारूक़ जामा मस्जिद को 9 डिसमील जमीन(Land) प्रदान हुआ था ग्रामीणो के तरफ से
1898 ईस्वी के दसक मे बहुआरा बुजुर्ग की आबादी भी कम हुआ करती थी परंतु जैसे जैसे गाँव की आबादी बढ़ती गाई मस्जिद की जगह कम पड़ने लगी और ग्रामीणो को दिक्कत कठिनाई होने लगी

ईसी दिक्कत कठिनाई को देखते हुए सन 1930 मे ग्रामीणो ने पुरानी मस्जिद को शहीद करके उसी जमीन पर ज़्यादा जगह लेकर दोबारा से तैयार किया।
Al-Farooq Jama Masjid Inside View
सन 1972 मे दोबारा से भूमि सर्वेक्षण(Survey) हुआ ग्राम बहुआरा बुजुर्ग में
मार्च-1972 के भूमि सर्वेक्षण(Survey) मे अल-फारूक़ जामा मस्जिद को दोबारा से 11 डिसमील जमीन प्रदान हुआ ग्रामीणो के तरफ से अब कुल 20 डिसमील यानी 4.5 कट्ठा जमीन मस्जिद के नाम पंजीकरण करके पर्थम मुतवल्ली के रुपमे मोहम्मद बेचू साहब को घोषित किया गया था

अल-फारूक़ जामा मस्जिद भूमि सर्वेक्षण विवरण
जमीन खाता संख्या : 368
जमीन खेशरा संख्या : 2238 + 2239
क्षेत्रफल : 20 Dismil/Decimal(4.5 कट्ठा)

हिंदुस्तान के बाढ़ प्रभावित राज्य मे से बिहार राज्य भी एक बड़े पैमाने पर आता है
बिहार,दरभंगा का ग्राम बहुआरा बुजुर्ग दो नदियों के बीच एक कश्ती की तरह रहता है

 सितम्बर-1975 मे भयंकर बाढ़ के करण बहुआरा बुजुर्ग का बहुत बड़े पैमाने पर नुक्सान हुआ था
यह भयंकर बाढ़ के आजाने से गाँव घर और मस्जिद मे भी जल जमाऊ हो जाए करता था और ईसके करण महिनो भर मस्जिद मे नमाज़ नही हुआ करती थी काफी दिक्कत कठिनाई उठाना पड़ता था नमाज़ियों को

ईसी दिक्कत कठिनाई को देखते हुए
बाढ़ चले जाने के 6 साल बाद सन 1982 मे बहुआरा बुजुर्ग के सभी ग्रामीण मीलकर  एक मशवरा (Meeting) किया मस्जिद को नई सोंच के साथ बनाने के लिए

मशवरा में शामिल मुख्य सदस्यों के नाम कुछ ईस्पर्कार हैं
  1. डॉक्टर अब्दुल बासित साहब
  2. डॉक्टर मोहम्मद मस्लेहुद्दीं साहब
  3. मास्टर मोहम्मद यहया साहब
  4. मास्टर अनवारुल हक़ साहब
  5. नीसारुल हक़ साहब(नीसारुल ठेकेदार)
  6. मास्टर मोहम्मद मसिहुज्जमा साहब
  7. मौलवी मोहम्मद ईसा साहब
  8. अब्दुल लतीफ़ साहब
  9. मोहम्मद उसमान साहब (नेता जी)
ईनसभी सदस्यों का साथ देने के लिए बहुआरा बुजुर्ग के तमाम लोग शामिल थे

सन 1982 मे अल-फारूक़ जामा मस्जिद को नई तकनीक तजुर्बे के साथ दोबारा से बनाया गया है जमीन अस्तर से 3 फूट की उचाई करके पक्के ईंट की दिवार के साथ कंक्रीट का छत डालकर संपूर्ण रुपसे तैयार किया गया है
सन 1982 मे अल-फारूक़ जामा मस्जिद को दोबारा से तामिर करने मे एक व्यक्ति का बहुत बड़ा योगदान रहा है जिंका का नाम है नीसारुल हक़ जिसे लोग नीसारुल ठेकेदार के नाम से भी जानते है
Al-Farooq Jama Masjid Under construction
अल-फारूक़ जामा मस्जिद बहुआरा बुजुर्ग को गाँव से दूर रहकर आर्थिक फायदा पहुंचाने में 2 व्यक्तियों का बहुत बड़ा भूमिका है
वह 2 महान व्यक्तियों के नाम कुछ ईस्पर्कार हैं
  1. मौलाना मोहम्मद सोहैल अखतर क़ासमी
  2. क़री मोहम्मद हम्माद नदवी

वर्तमान में अल-फारूक़ जामा मस्जिद बहुआरा बुजुर्ग के जिम्मेदार सदस्यों के नाम
  1. सदर : डॉक्टर अब्दुश शाफी
  2. मुतवल्ली : हाजी मोहम्मद अतहारुल हक़
  3. इमाम : मौलाना मोहम्मद सनाऊल्लाह क़ासमी
  4. मुअज्जिन : मोहम्मद मूसलीम

प्रशन : अल-फारूक़ जामा मस्जिद का नाम किसके नाम पर आधारित है

उत्तर : अल-फारूक़ जामा मस्जिद का नाम हजरत उमर फारूक़ (रजी अल्लाहु अन्हु ) के नाम पर आधारित है

Name of Researchers
  1. Amjad Shaikh
  2. Tanweer Ahmad(Son of Rafi Ahmad)
  3. Writer : Amjad Shaikh
Website: www.bahuaraabtak.com
Al-Farooq Jama Masjid Located in the Village Bahuara Buzurg , Darbhanga (Bihar)847306

Saturday, April 18, 2020

Bahuara buzurg me Bilal masjid ka Nirman kab hua tha बहुआरा बुजुर्ग में बिलाल मस्जिद का निर्माण कब हुआ था

Old Mosque years-1995

  • बिहार, दरभंगा के ग्राम बहुआरा बुजुर्ग मे बिलाल मस्जिद का निर्माण सन 1986 में हुआ था

  • दरभंगा के ग्राम बहुआरा बुजुर्ग में सेकड़ों साल पुरानी विशाल मस्जिद है जिसे बहुआरा जामा मस्जिद कहते हैं
  • ईस मस्जिद मे गाँव के सभी लोग नमाज़ अदा किया करते थें परंतु ग्राम बहुआरा बुजुर्ग की आबादी धीरे-धीरे बड़ती गाई और जामा मस्जिद का रस्ता दूर लगने लगा
  • जैसे की गाँव के पूर्वी हिस्से में रहने वाले नमाज़ियों को काफ़ी लम्बा रास्ता तय करना पड़ता था जामा मस्जिद पहुंचने के लिए
  • ईसी फिक्र को लेकर एक छोटी मस्जिद बनाने का मस्वराह हुआ
  • मस्वराह मे सामील व्यक्तियों के नाम कुछ ईस्पर्कार हैं
  1. मोo सफिकुल हक़
  2. मोo नथुनी(पुत्र मोo अतीक)
  3. मोo ऐनुल हक़ (ऐनुल मिया जी)
  4. मोo हशमत अली
  5.  मास्टर मोo गफ्फार
  6. मास्टर मोo अन्वारुल हक़
  7. मास्टर मोo मसिहुज्जमा
  8. मोo ईजहार
  9. अनामुल हक़ (पुत्र: कारी मोo नेमतुल्लाह)
  10. मोo इस्लाम (पिता: मोo कैलू)
  11. मोo दस्तगीर
  12. जान मोहम्मद
  13. मोo कलाम (पिता: मोo नवाजीश)
  14. मोo अजीम
Old Mosque years-1995


  • ईन सभी के बीच मस्वराह मे एक जमीन को पसंद किया गया मस्जिद बनाने के लिए और वो जमीन के मालिक थे मोo हशमत अली और वो कुल दो(2) कट्ठा जमीन थी जो मस्जिद के लिए बहुत सही थी क्यों के वो जमीन चार रास्तों के बीच थी
  • मस्वराह मे जब हशमत अली साहब से पुछा गया की मस्जिद मे जमीन देने के लिए आप की क्या राय है तो उन्होने खुसी से तैयार हो गए 2 कट्ठा जमीन(वक़्फ) दान देने के लिए
  • दो कट्ठा जमीन वक्फ करके बिलाल मस्जिद के प्रथम मोतावल्ली बने मोo हशमत अली


New Mosque Under Construction Years - 2014
  • सन 1986 मे मोo हशमत अली साहब के वक़्फ की हुई जमीन पर बिलाल मस्जिद का निर्माण सुरु कर दिया पक्के ईंट की नीव डालकर अधूरा चार दिवार खारा कर दिया उशी अधुरी चार दिवारी के बीच अज़ान और नमाज़ को क़ायम कर दिया और धीरे धीरे मस्जिद का भी काम चलता रहा
  • उस्वक़्त घर पर रेहकर मस्जिद का काम करवाने वाले जिम्मेदार थें
  1. मोo सफिकुल हक़
  2. मोo नथुनी
  3. मोo ऐनुल हक़ (ऐनुल मिया जी)
  4. मास्टर अन्वारुल हक़
  • बहुआरा बुजुर्ग, बिलाल मस्जिद की एक कॉमेटी बनाई गाई वेस्ट बंगाल के सहर कलकत्ता मे जिन्के जिम्मेदार थें
  1. मोo इस्लाम (पिता: मोo कैलू)
  2. मोo दस्तगीर
  3. मोo कलाम (पिता: मोo नवाजीश)
  4. मोo अजीम
  5. मोo अनामुल हक़(पुत्र: कारी मोo नेमतुल्लाह)
  • ईन सभी जिम्मेदारों का काम था की परदेशयों से चंदा ईकट्ठा करके गाँव मे रेह रहे जिम्मेदार के पास भेज देना और गाँव के जिम्मेदार का काम था उसी पैसे से मस्जिद का काम करवाना
  • उस वक़्त अज़ान देने को मुअज्जिन और नमाज़ पढ़ाने को इमाम नही थें
  • मोहल्ले के कोई भी नमाज़ि अज़ान देकर नमाज़ पढ़ और पढ़ा दिया करते थें
  • परंतु कुछ ही दिनो तक ऐसा चला उसके बाद ग्रामीणो ने एक मस्वराह किया और उस  मस्वराह मे अज़ान देने के लिए एक मुअज्जिन और नमाज़ पढ़ाने के लिए एक इमाम को तय किया गया
  • बहुआरा बुजुर्ग की बिलाल मस्जिद मे पहले मुअज्जिन के रुप में आए मोo नाजीम साहब जो अपनी पुरी जिंदगी मस्जिद की खिदमत मे गुजार दिया 
New Mosque Main Entrance Years-2019

  • बहुआरा बुजुर्ग की बिलाल मस्जिद मे पहले इमाम के रुप में आए मौलाना मोo सकील साहब जो मदरसा अशरफुल उलूम के हैड मोदर्रिश थें
  • बहुआरा बुजुर्ग की बिलाल मस्जिद का निर्माण सन 1986 में सुरु हुआ और सन 1995 तक पुरी तरह से मुकम्मल हो चुकी थी
  • ग्राम बहुआरा बुजुर्ग एक बाड़ पिरित ईलाका है ईस गाँव मे जब भी बाड़ (Flood) आता था तो मस्जिद के अंदर पानी का जमाऊ हो जाता था ईसके करण नमाज़ियों को काफी दिक्कत परिसानि का सामना करना पड़ता था ईसी दिक्कत परिसानि को देखते हुए 
  • सन 2012 मे बिलाल मस्जिद को शहीद करके दोवारा से बनाया गया है जमीन स्तर से 5 फीट की ऊंचाई लेकर नाई तजुर्बे के साथ
New Mosque  Years-2019
  • बिलाल मस्जिद को दोवारा से बनाने मे बहुत बड़ा योगदान है एक व्यक्ति का जिंका नाम है मोo सदरूल हक़ जिसे सदरूल सेठ भी कहते हैं
  • वर्तमान मे बिलाल मस्जिद के मोतावल्ली हैं मोo जिलानी(पिता मोo हशमत अली)
  • वर्तमान मे बिलाल मस्जिद के मुअज्जिन हैं मोo कमरुज्जमा साहब
  • वर्तमान मे बिलाल मस्जिद के इमाम है मोo रिजवान साहब
  • और खजांची के रुपमे हैं मोo रफीअहमद साहब
  • वर्तमान मे बिलाल मस्जिद के मस्वराह के जिम्मेदार व्यक्तियों के नाम कुछ ईस्पर्कार हैं
  1. मास्टर मोo अफाकूल हक़ साहब( सकील )
  2. मोo अमीरुद्दीन साहब ( Laddu )
  3. मोo शाकिम साहब 
  4. मोo सदरूल हक़ साहब
  5. जान मोहम्मद साहब
  6. मोo कलीम साहब ( पिता: मोo वारिश )
  7. मोo रफी अहमद साहब
Bilal Mosque Inside View

  • प्रशन :बिलाल मस्जिद का नाम किसके नाम पर आधारित है
  • उत्तर : बिलाल मस्जिद का नाम हजरत बिलाल हब्शी (रजी अल्लाहु अन्हु ) के नाम पर आधारित है 

  • Name of Researchers
  1. Amjad Shaikh
  2. Tanweer Ahmad ( son of Rafi Ahmad )
  3. Writer : Amjad Shaikh

Website: www.bahuaraabtak.com
Bilal Masjid Located in the Village Bahuara Buzurg , Darbhanga (Bihar)847306

Wednesday, April 1, 2020

Bahuara Buzurg Hashbun Tola,बहुआरा बुजुर्ग हशबुन टोला


  • बिहार , दरभंगा के ग्राम बहुआरा बुजुर्ग मे हशबुन टोला कब और कैसे बना उसकी पुरी जानकारी 
  • वर्तमान मे बहुआरा बुजुर्ग के हशबुन टोला जनाजा गाह के पास लगभग 30 घर है और हशबुन टोला की कुल जनसंख्या लगभग 160 है 

  • बहुआरा बुजुर्ग के हशबुन टोला मे एक जनाजा गाह हे जिसमे बहुआरा बुजुर्ग गाँव के सभी लोगो का अंतिम नमाजे जनाजा ईसी जनाजे गाह मे पढ़ा जाता हे

  • हशबुन टोला मे एक आटा चक्की मशीन है जिनके मालिक मोo असफाक़ साहब हैं

  • हशबुन टोला मे एक निजी स्कूल हे जो आर्मी पब्लिक स्कूल के नाम से जाना जाता है

  • बहुआरा बुजुर्ग, हशबुन टोला की निर्माता हशबुन निशा पती मोहम्मद शाईद हे
  • मोहतरमा हशबुन निशा पती मोo शाईद दोनो बहुआरा बुजुर्ग के नवाजीश टोला मे रहा करते थें अपने पुस्तैनी जमीन पर
  • परंतु बड़ते परिवार को देखकर वो जमीन कम लगने लगी और  मनमे ये खयाल आया की कहीं और घर बनाने को जमीन लिया जाये
  • जमीन कहीं और लेने की सोंच को मोहतरमा हशबुन नीशा ने अपने सोहर मोo शाईद से साझा किया और ये बात मोo शाईद साहब को बहुत पसंद आया और उन्होंनेे पक्का कर लिया की हमे कहीं और घर बनाना हे

  • उस वक़्त मोo शाईद साहब वेस्ट बंगाल के सहर कलकत्ता मे रहते थें
  • मोo शाईद साहब कलकत्ता सहर से कमाई का जोभी पैसा भेजा करते थें उनमे से खर्च करके कुछ पैसा बचा लिया करती थीं उनकी पत्नी हशबुन निशा
  • थोरा थोरा पैसा ईकाटठा करके गाँव से दूर हटके जमीन खरीदी और घर बनाने का फैसला करलिया

  • बहुआरा बुजुर्ग के हशबुन टोला मे सबसे पहला घर कोन और कैसे बनए
  • हशबुन टोला का पहला घर बनाया हशबुन निशा पती मोo शाईद साहब सन 1981 मे

  • मोo शाईद साहब ने सन 1981 मे बहुआरा बुजुर्ग गाँव की अवादी से दूर हटकर कब्रिस्तान के किनारे घने एक जंगल मे अपना आसयाना बनाया बांस फुस मिट्टी से और अपने परिवार के साथ  रहना सुरु कर दिया
  • उस्वक़्त के दौर मे वहां पर किसी भी चीज की सुविधा नही थी 
  • पीने का पानी लाने के लिये लगभग 500 मीटर दूर नवाजीस टोला के कच्या गाछ के पास आना परता था, और दुसरा उपाय भी यही था  की 500 मीटर दूर  दुसाद टोली मे जाना परता था पीने का पानी लाने के लिये

  • मोo शाईद साहब के घर परिवार का नहाने दोने का काम पोखर(तालाब)से किया करते थें उस्वक़्त गाँव के सभी लोग नहाने धोने का काम पोखर से ही किया करते थें

  • सन 1982 मे हशबुन टोला का दुसरा घर बनाने को आयें मोo मागदुम साहब पुरे परिवार के साथ परंतु माली हालात ठीक ना होने की वजह से एक साल तक मोo शाईद साहब के घर मे गुजारा किया
  • उसके बाद सन 1983 मे अपना घर बनाया बांस फुस मिट्टी से और अपने परिवार के साथ रहने लगें मोo मागदुम साहब
Criteria of Hashbun Tola

  • हशबुन निशा पती मोo शाईद साहब को पियाव जल की बहुत बड़ी समस्या थी पियाव जल के लिए 500 मीटर दूर जाना पड़ता था ईस्लिये मोo शाईद साहब अपने पियाव जल की समस्या लेकर पहुंचें सरपंच अब्दुल लतीफ़ साहब के पास और उनसे चापा कल(Hand Pump) का अनुरोध किया
  • सरपंच अब्दुल लतीफ़ साहब ने मोo शाईद साहब के समस्या का समाधान करने का वादा किया और सन 1983 मे सरकारी योजनाओं के तहत चापा कल मंगवा कर मोo शाईद साहब के घर के पास धसवा दिया ये देखकर हशबुन निशा पती मोo शाईद साहब बहुत खुश हुऐ क्यों के पहली बार विकासशील के रुप मे चापा कल मिला था
  • ये चापा कल से राह चलते मोसाफ़ीर और खेतों मे काम करते किशान भी फायदा उठाते थें 

  • सन 2000 मे हशबुन टोला का तीसरा घर बना मोo ईकराबुल हक़ साहब का और सन 2001से 2002 तक हशबुन टोला मे तीन (3) घर और बना जिन्के नाम हैं
  1. मोo एजाजूल हक़
  2. मोo गुलाम रसूल
  3. मोo मुम्ताज

  • ईन्सभी घरो के बाद एक घर और बना मोo शोएब साहब का
  • ईस्तराह से हशबुन टोला मे एक घर के बाद एक घर बंता चला गया और अब घरों की कुल संख्यां लगभग 30 होचुकी है
  • (Before January 2020)

  • बहुआरा बुजुर्ग के हशबुन टोला मे पियाव जल की सुविधा सन 1983 मे मिली और बिजली की आपूर्ति सन 2017 मे मिली

  • Name of Researchers
  1. Amjad Shaikh
  2. Tanweer Ahmad(Son of Rafi Ahmad)
  3. Writer : Amjad Shaikh

Address पता

Website: www.bahuaraabtak.com
ग्राम : बहुआरा बुजुर्ग, हशबुन टोला
डाक घर : हरिहरपुर
पंचायात : हरिहरपुर
प्रखंड : सिंघवाड़ा
थाना : कमतौल
जिला : दरभंगा 847306 (बिहार)

Thursday, March 12, 2020

बहुआरा बुजुर्ग मे पहली बार बिजली कब और कैसे आई



  • बहुआरा बुजुर्ग मे पहली बार बिजली कब और कैसे आई

  • दरभंगा, हरिहरपुर पश्चिम पंचायत के बहुआरा बुजुर्ग गाँव मे पहली बार बिजली सन 1984 मे आई थी
  • माहा दलीत योजना के तहत इंदिरा गाँधी की सरकार मे 
  • ग्राम बहुआरा बुजुर्ग में सन 1983 तक बिजली की सुविधा नही थी
  •  गाँव के समाज अपने घरों मे दिया और लालटेन जला कर रात बिताया करते थे 

  • बहुआरा बुजुर्ग में पहली बार बिजली आई सन 1984 मे  माहा दलीत योजना के तहत
  • माहा दलीत योजना द्वारा आया हुआ बिजली  पहली बार गाँव के छोटे तबके के मोहल्ले मे (Pole)खंभा गारा गया था 
  • जैसे की दुसाद-टोली और चमार-टोली मे उसके बाद गाँव के पुराने स्कूल के साइड से खंभा गारा गया और सभी खंभे में एक एक बल्ब लगा दिया

  •  उसके बाद बिजली की आपूर्ति चालू कर दिया 
  • बहुआरा बुजुर्ग मे पहली बार बिजली देखकर ग्रमीणो के खुसयों का ठेकाना नही था
  • बिजली आके कुछ महिने ही हूं थे की बल्ब का खराब होना चालू हो गया और सरकार के तरफ से समय पे सुधार सेवा नही मिल पायी थी
  • सन 1987 मे(Largest Flooding) बहुत बड़ा बाढ़ आया था उसी बाड़ मे गाँव का  70% घर दह गया और गाँव की बिजली भी क्षतिग्रस्त हो गयी थी
  • माहा दलीत योजना के द्वारा आया हूआ बिजली   का अन्त होगया सन 1987 म

  • बिहार, दरभंगा के बहुआरा बुजुर्ग मे दूसरी बार बिजली आई सन 1998 मे
  • सन 1987 से 1998 के बीच बहुआरा बुजुर्ग मे विकासशील की कमीयों मे से एक बहुत बड़ी कमी थी बिजली की


  • ईस कमी  को पूरा करने के लिए बहुआरा बुजुर्ग गाँव के बुद्धिमान बूढ़े और नौजवान मिल्कर जोश जज्बे के साथ आगे आयें और बिजली लाने की प्रक्रिया को समझा और समझने के बाद ग्रामीणो के सहायता के साथ एक आवेदन पत्र लीखा बहुआरा बुजुर्ग मे बिजली लाने के लिए


  • दरभंगा के बहुआरा बुजुर्ग गाँव मे बिजली की उपलब्धी मे संघर्षशील व्यक्तियों के नाम
  1. मोo असलम साहब(Indian Army)
  2. अब्दुस शाफी साहब
  3. मोo दस्तगीर साहब
  4. मोo सलाउद्दीन (पिता मोo मोस्लीम)
  5. डॉक्टर मोo मस्लेहुद्दीं साहब
  6. मीर मोo ईजराईल (पिता: मीर मोo इस्लाम)
  • ईंसभी बुद्धिमान व्यक्तियों की वजह से बहुआरा बुजुर्ग मे दोवारा से बिजली का आगमन हुआ 

  •  ग्राम बहुआरा बुजुर्ग में पहली बार 2-अक्टूबर-1998 मे बिजली की आपूर्ति दिया गया था 63 (KV) किलोवाट का ट्रांसफार्मर के साथ
  • उस्वक़्त के प्रथम उपभोक्ताओं(Consumers)के रुप मे लगभग 32 आदमी थें
  • ईंही 32 उपभोक्ताओं की सूची से कुछ ईस प्रकार के नाम है 
  1. डॉक्टर अब्दुल बासीत
  2. डॉक्टर मोo मसलेहुद्दीन
  3. मास्टर अनवारुल हक़
  4. मास्टर मोo मसिहुज्जमा
  5. मास्टर मोo यहया
  6. मोo दस्तगीर
  7. मोo मोस्लीम(पुत्र: मोo सलाउद्दीन)
  8. मोo असलम (पिता: मोo आरिफ)
  9. मोo अनश(पिता: मोo मोजीब)
  10. मोo उस्मान(नेता जी)
  11. अनरशी पासवान
  12. राम अवतार पासवान
  • उपभोक्ताओं की सूची मे और भी काई लोग सामील थें
  • घर मे बिजली लाने के लिये उस्वक़्त के उपभोक्ताओं को 2 पर्ची कटवानी परती थी पहली पर्ची 150 रूपया की और दुसरी पर्ची 155 रूपया की होती थी तब जाकर बिजली उपयोगकर्ता बनपाते थे
  • सन 1998 मे 63 (KV) किलोवाट का ट्रांसफार्मेर मिला था बहुआरा बुजुर्ग को
  • उस वक़्त कम उपभोक्ता हुआ करते थे जैसे जैसे बिजली उपयोगकर्ता बड़ता गया वैसे वैसे ट्रांसफार्मर का भार क्षमता कम होता गया
  • ट्रांसफार्मर की क्षमता कम होने की वजह से बहुआरा बुजुर्ग गाँव मे बिजली रहते हुए भी बिजली की समस्या होने लगी थी
  • बिजली की समस्या ग्रामीणो को नापसंद गुजरी और सभी ने मिल्कर बिहार बिजली विभाग को आवेदन लिखा निवेदन के रुप मे की 100 (KV) किलोवाट का ट्रांसफार्मर चाहिये दरभंगा के बहुआरा बुजुर्ग गाँव मे
  • बिहार बिजली विभाग ने स्वीकार किया और सन 2006 मे 100 KV का ट्रांसफार्मर लाकर ग्राम बहुआरा बुजुर्ग में स्थापित करदिया

  • बिजली उपयोगकर्ता अधिक संख्या मे बड़ता गया और 100 KV क्षमता वाला ट्रान्सफार्मर भी कम लगने लगा उसके बाद सन 2009 मे एक और ट्रान्सफार्मर स्थापित किया गया चमार टोली में
  • तीसरा ट्रान्सफार्मर सन 2013 मे पश्चिम तरफ सरकारी विक्रेता के पास  स्थापित किया गया

  • ग्राम बहुआरा बुजुर्ग में बिजली आकर 19 साल हो चुका था परन्तु गाँव के एक ऐसे हिस्से मे बिजली प्रवेश नही किया था जहां जनसंख्या और घरो की अवादी कम थी 
  • वो था बहुआरा बुजुर्ग का हशबुन टोला जिसे जनाजा गाह भी कहते हैं 
  • ग्राम बहुआरा बुजुर्ग के हशबुन टोला मे बिजली प्रवेश किया सन 2017 मे

  • दरभंगा के बहुआरा बुजुर्ग गाँव में बिजली ईस प्रकार से विकसित हुआ की सन 1998 से अबतक कुल 6 ट्रांसफार्मर लगा हुआ है

  • Name of Researchers

  1. Amjad Shaikh
  2. Tanweer Ahmad(Son of Rafi Ahmad)
  3. Writer : Amjad Shaikh

Address
Village: Bahuara Buzurg
Post: Hariharpur
Police Station: Kamtaul
Block: Singhwada
District: Darbhanga 847306 (Bihar)

Tuesday, March 10, 2020

Bihar me Electricity kab aaya,बिहार मे बिजली कब आई


पहली बार बिहार मे बिजली कब आई

बिहार राज्य पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (BSPHCL) भारत के बिहार राज्य में कार्यरत एक राज्य-स्वामित्व वाली विद्युत विनियमन बोर्ड है इसका नाम पहले बिहार राज्य बिजली बोर्ड था
जिसको इंग्लिश मे Bihar State Electricity Board कहते थें
बिहार राज्य बिजली बोर्ड 1958 में विद्युत(आपूर्ति) अधिनियम 1948 के तहत एक सांविधिक निगम के रूप में स्थापित किया गया था

बिहार राज्य पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (BSPHCL)को सन 1958 मे विद्युत उत्पादन की क्षमता केवल 530 मेगावाट थी

31 अगस्त 2015 को बिहार में स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 3832.54 मेगावाट थी। यह भारत की बिजली क्षमता का 10% और पूर्वी भारत का 25% है

बिहार राज्य पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड  का मुख्यालय विदयुत भवन बाईलेय रोड पटना बिहार मे है जिनके अध्यक्ष और प्रबंध संचालक Pratyaya Amrit,IAS है

बिहार राज्य वापर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड के अंदर 3 (Distribution Company)वितरण कंपनी काम करती है जिनका नाम है
(BSPTCL) Bihar State Power Transmission Company Limited
(SBPDCL) South Bihar Power Distribution Company Ltd
(NBPDCL) North Bihar Power Distribution Company Ltd


(NBPDCL)एनबीपीडीसीएल उत्तरी बिहार के 21 जिलों के एक क्षेत्र को शामिल करता है जो आगे 31 प्रभागों में विभाजित है
1-अररिया, 2-बगहा, 3-बैरगनिया, 4-बरौली, 5-बरौनी, 6-बारसोई, 7-बेगूसराय, 8-बेतिया, 9-छपरा, 10-दरभंगा, 11-ढाका,12-फोर्बसगंज,13-गोगरी,14-गोपालगंज, 15-हजारीगंज, 16-कटिहार, 17-खगड़िया, 18-महनार बाजार, 19-मोतिहारी, 20-नरकटियागंज, 21-पूर्णिया पूर्व, 22-रामनगर, 23-रेवलगंज, 24-समस्तीपुर, 25-सीतामढ़ी, 26-सीवान, 27-सोनपुर, 28-सुगौली, 29किशनगंज, 30-मधेपुरा, 31-रक्सौल

 2012 में लगभग 1.8 मिलियन उपभोक्ताओं की बिजली आवश्यकताओं के लिए सक्षम थी

Sri Pratyaya Amrit, IAS
Chairman-cum- Managing Director (BSPHCL)

Dr. Sandeep Kumar R Pudakalkatti-IAS
Managing Director  (BSPTCL, & ,NBPDCL)

Sri Sanjiwan-Sinha Managing Director (SBPDCL)


This is the history Maker & Writer
Amjad Shaikh

YouTube:
https://www.youtube.com/c/ASINSTRUTECH

Sunday, March 8, 2020

भारत में पहली बार बिजली कब और कहाँ शुरू हुई थी when and where did electricity come for the first time in india


भारत में बिजली कब और कहाँ शुरू हुई थी

  • भारत में बिजली पहली बार कोलकाता में शुरू की गई थी ,

  • कलकत्ता में इलेक्ट्रिक लाइट का पहला प्रदर्शन 24 जुलाई 1879 को P W Fleury & Co. द्वारा किया गया था,

  • 1881 में 36 इलेक्ट्रिक लाइट्स ने मैकिनॉन और मैकेंजी के कॉटन मिल मे जलाया गया था
  • बंगाल सरकार ने 1895 में कलकत्ता इलेक्ट्रिक लाइटिंग एक्ट के साथ विद्युतीकरण का लाइसेंस प्राप्त किया था,

  •  पहले लाइसेंस में 5.64 वर्ग मील (14.62 वर्ग मीटर) का क्षेत्र शामिल था,
  • 7 जनवरी 1897 को किलबर्न एंड कंपनी ने कलकत्ता इलेक्ट्रिक लाइटिंग लाइसेंस को
  • द इंडियन इलेक्ट्रिक कंपनी लिमिटेड को एजेंट के रूप में सुरक्षित किया था
  •  कंपनी ने जल्द ही अपना नाम कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉर्पोरेशन लिमिटेड में बदल दिया था ,

  • सन 1897 मे कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉर्पोरेशन लिमिटेड कंपनी को लंदन मे पंजीकृत किया गया था ,

  •  17 अप्रैल 1899 को कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पहले थर्मल पावर प्लांट को भारत में थर्मल पावर जेनरेशन की शुरुआत का संकेत देते हुए प्रिंसेप घाट के पास इमामबाग लेन में कमीशन किया गया था

  • उसके बाद कलकत्ता ट्रामवेज कंपनी ने सन 1902 में घोड़े से खींची जाने वाली गाड़ियों से बिजली ली थी,
  • सन 1906 तक तीन नए बिजली उत्पादन स्टेशन शुरू किए गए थें और कंपनी को 1933 में कोलकाता के धर्मतल्ला में विक्टोरिया हाउस में स्थानांतरित कर दिया गया था और अभी भी उसी पते पर ही काम कर रही है ,
  •  सन 1970 में, कंपनी का नियंत्रण लंदन से कलकत्ता स्थानांतरित कर दिया गया था और
  • सन 1978 में इसे "द कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉर्पोरेशन (इंडिया) लिमिटेड" नाम दिया गया था
  • RPG Group 1989 से द कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉर्पोरेशन (इंडिया) लिमिटेड से जुड़ा था और इसका नाम द कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉर्पोरेशन (इंडिया) लिमिटेड से बदलकर CESC लिमिटेड कर दिया गया था ,

  • 2011 में CESC (RP-Sanjiv Goenka Group)आर पी संजीव गोयनका समूह का हिस्सा बन गया जिसका गठन 13 जुलाई 2011 को आरपीजी एंटरप्राइजेज के दिवंगत संस्थापक डॉ आरपी गोयनका के सबसे छोटे बेटे संजीव गोयनका ने किया था ,


Amjad Shaikh

YouTube: https://www.youtube.com/c/ASINSTRUTECH

Wednesday, March 4, 2020

Biography of Samuday bhawan,in Bahuara Buzurg Darbhanga


Samuday bhawan
  • ग्राम बहुआरा बुजुर्ग के नवाजिश टोला(पुर्वारि टोला) मे स्थित समुदाय भवन जो काफी लोक प्रिय है और वो अंजुमन दरवाजा के नाम से भी जाना जाता है
  • समुदाय भवन का निर्माण सन 1990 मे किया गया था बांस कर्ची और खर्ही(फुस)से

  • सन 1974 के दसक में काफी बड़ा और पुराना 1 निजी दरवाजा हुआ कर्ता था जिस्से मुहल्ले के समाज को काफी सुविधा थी वो दरवाजे मे मेहमान नवाजी, बारातयों का ईंतेज़ाम और खेती गिर्हसती का भी कुछ काम निप्टाया जाता था 
  • वो दरवाजा शेख मोहम्मद कारी नाम के महापुरुष का था 
  • जब सन 1975 मे भयंकर बाड़ आया तो बहुआरा बुजुर्ग गाँव का 60% घर दह गया उसी बाड़ मे शेख कारी साहब के  दरवाजे का भी अन्त हो गया

  • उसके बाद सन 1975 से लेकर 1989 के बीच बहुआरा बुजुर्ग गाँव के नवाजिश टोला मे मेहमान नवाजी और बारातयों के सम्मान के लिये कोई अंजुमन दरवाजा या समुदाय भवन नही था

  • गाँव के लोगो को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता था तब जब किसी के घर मे 10 मेहमान आजाये रिस्तेदरि करने को या किसी के मृत्यु(ईंतेक़ाल) मे शरीक होने को तो सोंचना परता था की आये हुए मेहमान को कहां बैठाला जाये और कहां आराम करने की जगह दी जाये

  • ईसी समस्या संकट को देखते हुए नवाजीश टोला के कुछ अच्छी सोंच के लोगों ने 1 मस्वराह किया की अपने मोहल्ले मे 1अंजुमन दरवाजा होना चाहिये जिसमे सभी के मेहमान और बारातयों का सम्मान किया जा सके

एसे सर्वोत्तम विचार रखने वाले 6 सदस्य के नाम है
  1. मोo ईस्लाम साहब(पिता: मोo कैलू)
  2. मोo कलाम साहब(पिता: मोo नवाजीस)
  3. मोo अज़ीम साहब(पिता: मोo सुलेमान)
  4. मोo ऐहसानुल हक़ साहब(मस्तान)पिता: मोo उस्मान
  5. मोo खुरसीद साहब(पिता: मोo पीरबक्स)
  6. मोo मुम्ताज साहब(पिता: मोo पीरबक्स)
  • अब बात आती हे की दरवाजा बनाये तो बनायें कहां 
  • सभी ने मिल्कर 1 अग्रभाग जमीन तलाश की और वो जमीन के मालिक थे दस्तगीर साहब
  • यही सोंच विचार लेकर सब्लोग पहुंचे दस्तगीर साहब के पास और अपना विचार साझा किया
  • उंसभी के विचार से  प्रसन्न हूं दस्तगीर साहब और अपने जमीन के अगले हिस्से की जमीब देने का तय किया और कहा की और भी जमीन  की जरुरत परी तो हम जमीन देंगे 

  • ये सुनकर मोहल्ले के सभी लोगो मे खुस्या जाग उठी और बरे जोसो ख्रोस मे अंजुमन दरवाजा बनाने को निकले
  • जिसके मुख्य कारीगर थे मोo रमजानी साहब जो सुन्दरपुर के निवासी थे और ऊंकी मदद के लिये 3 कारीगर और थें जिंका नाम है
  1. मोo मोजिबुल हक़(बंगाली)
  2. मोo जफिर (पिता: मोo दस्तगीर)
  3. मोo रफीअहमद (पिता: मोo सहीद)

  • ग्राम बहुआरा बुजुर्ग नवाजिश टोला के सभी बांस के बीट से बांस काटा गया और खर्ही फुस से दरवाजा को तैयार किया जिसमे मोहल्ले के बुढे, बच्चे,नौजवान सभी का योगदान रहा हे
  • दरवाजा बनाने के वक़्त अपने खुसी का ईजहार करते हूं लोगो ने उंची आवज से संगीत भी बजाया करते थे

  • काफी दिनों तक युहिं चलता रहा उसके बाद सन 1997 मे अंजुमन दरवाजा को तोरकर बेहतर बनाया गया जिसमे सुखे खाजूर के दरखत का पिलर और छप्पर टाली खपरे का डाला गया था उसके बाद सन 2000 मे भयेंकर बाड़(सेलाब)आया था जिसके कारण गाँव का काफी घर क्षतिग्रस्त(नुक्सान)होगया था उसी बाड़ मे अंजुमन दरवाजा भी टूट फुट गया था

  • सन 2000 मे बहुआरा बुजुर्ग नवाजिश टोला के परदेशी नौजवानो ने 1 मीटिंग बुलाई वेस्ट बंगाल कोलकता के अंदर और वह मीटिंग मे तय हुआ की ग्रामीणो से चंदा वसूल कर अंजुमन दरवाजा को पोकता बनाया जाये
  • सन 2001 मे सभी ग्रामीणो से चंदा वसूल करके 18 ईंच चौरा पक्के ईंट की (दिवार)नीव रखी गई थी जो 1•5  मीटर उंचा करके और मिट्टी भर कर  छोड़ दिया गया था
  • सन 2001 के कार्य मे सामिल सदस्यों के नाम
  1. मोo दस्तगीर साहब
  2. मोo कलाम साहब
  3. मोo ईस्लाम साहब
  4. मोo अज़ीम साहब
  5. मोo सनाउल हक़(अरसी)
  6. मोo ज़ियाउल हक़(कुरैसी)
  7. मोo सलाउद्दीन(पिता-मोo रहीम)
  8. मोo बदरुल(पिता-मोo वक़ील)
  9. मोo कादीर(पिता-मोo तमीजुल)
  10. मोo सनजुर(पिता-मोo युसुफ)
  11. मोo अफताब(पिता-मोo ईदरीश)

  • साल 2007 मे बिहार सरकार योजना के द्वारा अंजुमन दरवाजा का पिलर उठा कर लिल्टर तक का काम किया गया था
  • जिस मे काजकर्ता के रूप में मोहम्मद उस्मान साहब(नेता जी) और मास्टर अंवारूल हक़ साहब अदी सामिल थे

  • उसके बाद साल 2013 April मे पंचायत समिति द्वारा आया हुआ योजना से छत का काम मुकम्मल हुआ था जिसके अभिकर्त्ता हे राम विनोद चोधरी जी और ठेकेदार के रुप में ठेका लिया था समिती मोo अशफाक साहब और मोo सलाउद्दीन(पिता-मोo मोसलीम) जो अभी बारात भवन के रुपमे  हैं
  • This Baraat Bhawan Has Been Registered as Samuday Bhawan in Google and Google maps in The years 2017
  • इस बारात भवन को वर्ष 2017 में Google और Google maps में Samuday bhawan के रूप में पंजीकृत किया गया है।
  • समुदाय भवन को Google मे(Registration)पंजीकृत करने वाले व्यक्ति का नाम है
  • Md Amjad(Amjad Shaikh)मोo अमजद


  • अक्टूबर 2019 मे माननीय विधायक डॉक्टर फराज फातमी द्वारा अनुशंसित योजना के तहत समुदाय भवन के अंगनाई मे सौर रोशनी(Solar Light)लगवाया गया है

  • Name of Researchers
  1. Amjad Shaikh
  2. Md Munna Mustaque
  3. Tanweer Ahmad(Son of Rafi Ahmad)
  4. Writer : Amjad Shaikh

Website: www.bahuaraabtak.com
YouTube: Bahuara Abtak
Youtube:
https://www.youtube.com/c/ASINSTRUTECH

Village : Bahuara Buzurg
Post office : Hariharpur
Police Station: Kamtaul
Block : Sinhwada
District : Darbhanga (Bihar)847306 

Wednesday, February 19, 2020

Biography of Bahuara Buzurg School


  • The primary school Bahuara Buzurg was first built in 1968,
  • The year 1968 is according to the documents
 माध्यमिक विद्यालय 

  • बहुआरा बुज़ुर्ग स्कूल की जीवनी
  • प्राथमिक विद्यालय बहुआरा बुज़ुर्ग का स्थापना -वर्ष 1968 मे हुआ था,
  • वर्ष 1968 दस्तावेजों के अनुसार है
प्राथमिक विद्यालय

  • ग्राम बहुआरा बुजुर्ग मे प्राथमिक विद्यालय था जिसमे कक्षा 1 से लेकर कक्षा 5 तक की पढ़ाई होती थी
  • उसी विद्यालय को तरक़्क़ी करके माध्यमिक विद्यालय के रुपमे कर दिया
  • जिसमे कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक की पढ़ाई होने लगी
  • उसके बाद काफी मोसक्कत करके उसी विद्यालय को अपग्रेड करवाया गया और अभी उच्च विद्यालय के रुुुपमे उत्क्रमित उच्च विद्यालय है, जिसमे कक्षा 1 से लेकर कक्षा 10 तक की पढ़ाई होती है और ये उच्च विद्यालय मे +2 तक की शिक्षा प्राप्त की जा सकती
High School of Bahuara Buzurg

  • ग्राम बहुआरा बुजुर्ग मे सन 1954 तक हिन्दी इंग्लिश गणित पढ़ने पढ़ाने का सरकारी (शिक्षालय)विद्यालय जैसा कुछ भी नहीं था
  • सन 1955 मे 1 विद्यालय के रूप मे आया था जिसे प्रदानशीं मकतब कहते थे जो स्तिथ मोहम्मद सिराजुद्दीं साहब के दरवाजे पे था, 
  • वो प्रदानशीं मकतब मे पढ़ाने वली शिक्षक थीं हुसना बानो वो मोहम्मद सिराजुद्दीं साहब की बेटी थी और अब्दुल खालीक साहब की बहन थीं
  • सन 1955 मे प्रदानशीं मकतब मे जादा तादात मे लड़कियां पढ़ा करती थी क्यों के लड़को के लिये गाँव से बहर जाकर पढ़ने का विकल्प था
  • प्रदानशीं मकतब काई सालो तक यूंहिं चलता रहा तब जाकर ग्रामीणो को ये मेहसूश हुआ की गाँव के बच्चों के लिये 1 विद्यालय होना चाहिये उसके बाद बहुआरा बुजुर्ग गाँव के सभी लोगो ने शिक्षा के उपर भी कुछ काम करने की कोशिश  किया और सन 1961 मे सरकार से गुहार लगाई और शिक्षा की मंग की
  • सन 1961 मे बहुआरा बुजुर्ग गाँव के सरपरस्त लोगों के नाम है
  1. डॉ अब्दुल बसित साहब
  2. अब्दुल खालीक साहब
  3. मुंसि मोनिरुद्दीं साहब
  4. मास्टर अब्दुल रहमान साहब
  5. मौलवी मोहम्मद ईसा साहब
  • और भी काई ग्रमीण सामिल  थें
  •  ईन्ही लोगो की सरपरस्ती  मे काम को अंजाम दिया गया हे और काफी मुसक्कत के बाद सन 1968 मे (स्कूल) विद्यालय बनाने का अनुमती मिला सरकर के तरफ से
  • और उसके बाद सन 1968 मे प्राथमिक विद्यालय बहुआरा का निर्माण किया गया मिट्टी का घर बना कर स्कूल के रूप मे 
  • प्राथमिक विद्यालय बहुआरा को सरकार के तरफ से 1एकड़ जमीन मिला हुआ है यानी स्कूल के नाम 22 कट्ठा जमीन पंजीकरण हुआ है
  • प्राथमिक विद्यालय बहुआरा मे सर्व प्रथम सरकारी शिक्षक के रुप में आयें मास्टर समशुल होदा साहब जो नरसरा बिशनपुर (दरभंगा)के रहने वाले थें ईन्की पहली पोस्टिंग थी बहुआरा बुजुर्ग गाँव मे तारीख(Date:8-September 1969) मे जब मास्टर समशुल होदा साहब आयें थे तब स्कूल की हालात कुछ ठीक नहीं थी पर मुस्किल से ही 2 वर्षों तक उसी मिट्टी के बने स्कूल में बच्चों को शिक्षा दियें पढ़ायें थे
  • सन 1971 मे सरकारी योजनाओं के तहत प्राथमिक विद्यालय बहुआरा को ईंटों की दिवार से पुकता बनाया गया था जिसमे 2 (Rooms)कमरा था और बाड़ पीड़ित ईलाका था स्लियें स्कूल को अधिक उंचा बनाया गया था लगभग जमीन अस्तर से 1.5 मीटर उंचा करके
  •  सर्व प्रथम ईंटो का पोकता स्कूल की नीव डालने वाले मास्टर समशुल होदा साहब  थें 
  • परन्तु सन 1971 ई० में स्कूल पूरी तरह ईटों की बनकर तैयार हो गई थी जिस समय स्कूल तैयार की गई थी उस समय के कुछ विद्यार्थियों  के नाम इस प्रकार है
  • मो साकिर ,  मो साक़ीम , मो तौक़ीर , हाफ़िज़ सुहैल साहब  कारी हम्माद साहब , नसीमा बेगम और  फिरदौश बेगम आदि  
  • सन 1968 से ये स्कूल लगभग 36 वर्षों तक प्राथमिक स्कूल ही रहा परन्तु जब सन 2000 में सर्व प्रथम बहुआरा बुज़ुर्ग के मुखिया अब्दुश शाफी(तबस्सुम साहब )चुनाव जीतकर आए तो उन्होंने शिक्षा वयवस्था में सुधार लाने का प्रयास किया
  • और सन 2004 में मिडिल स्कूल बनाने की अर्जी डाली और काफी मुशक़्क़त के बाद सन 2005 में सफलता मिली
  • उस समय प्रधान ध्यापक श्रीमान शत्रुघ्न ठाकुर थे जिनका इस स्कूल में काफी योगदान रहा है वे कमतौल (दरभंगा ) के निवासी थे
  • अब बहुआरा बुज़ुर्ग में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक की पढ़ाई होने लगी

  •  तथा 7 वर्षों बाद पूर्व मुखिया अब्दुस साफी साहब ने पुनः माध्यमिक विद्यालय को तरक्की करवाने  की कोशिश की और काफी मोशक्कत करना परा तब जाकर उत्क्रमित उच्च विद्यालय के रूप में पास किया गया , सन 2014 मे

  •  उत्क्रमित उच्च विद्यालय को 2015 मे तैयार किया गया था मौलाना अबुल कलाम आज़ाद स्टेडियम की दक्षिणी कोने मे
  • मौलाना अबुल कलाम आज़ाद स्टेडियम का क्षेत्रफल काफी बड़ा है जो 171,812 वर्ग फुट मे फैला हुआ है एकड़ (Acres)मे देखे तो 3.944261 एकड़ होत है
  • जिसे हम 57 कट्ठा भी कहते हैं
  • मौलाना अबुल कलाम आज़ाद स्टेडियम का भूखंड संख्या - 2390 है और खाता संख्या - 724 हैं
High School


  • बंकर तैयार उच्च विद्यालय को सन 2016 मे(Hand-over) सौंप दिया गया था
  • और सन  2016 में उन्हें पुनः सफलता  मिली जो हाई स्कूल के रूप मे अभी मौलाना अबुल कलाम आज़ाद स्टेडियम के प्रांगण में स्थित है

  • दिनांक : 10-05-2018 मे ग्रमीण समेत काई राज नेेताओ के हाथों से उच्च विद्यालय का प्रारंभ हुआ था
  •  प्रारंभ मे उपस्थित मुख्य अतिथियों के नाम
  1. विधायक: डॉ० फराज फातमी
  2. सिंहवाड़ा प्रमुख: आरती देवी
  3. समिती : यासमीन खातुन
  4. ग्रमीण : मोहम्मद अशफाक़
  5. मुखया : रेणु देवी
  6. हैड मास्टर: लक्षमन प्रसाद

  • सन 2018 May में बच्चों का प्रथम बार इस हाई स्कूल में(Nomination Started)नामांकन प्रारंभ हुवा था

  • The 2018 May was the Nomination of This School of Children's First Time in High School
High school of Bahuara Buzurg

ग्राम:   बहुआरा बुजुर्ग
Village: Bahuara Buzurg
डाक घर: हरिहरपुर
Post Office: Hariharpur
थाना:   कमतौल
Police Station: Kamtoul
प्रखण्ड: सिंहवाड़ा
Block: Singhvada
जिला: दरभंगा
District: Darbhanga
Pin Code 847306 (Bihar)
Website www.Bahuaraabtak.com

Name of Researchers
  1. Amjad Shaikh
  2. Tanweer Ahmad(Son of Rafi Ahmad)
  3. Abdul Halim(Guddu)
  4. Writer: Amjad Shaikh

Thursday, February 13, 2020

Biography of Madarsa Ashraful Uloom

  • मदरसा अशरफुल उलूम यह एक इस्लामी (शिक्षण संस्थान)शिक्षा विद्यालय है जिसमे उर्दु अरबी और फ़ारसी पढ़ाई जती है


  • यह शिक्षा विद्यालय को मुस्लिम समुदाय के लोगो मे मदरसा के नाम से जाना जाता हैं और ये मदरसा बहुआरा बुजुर्ग गाँव मे स्थित हैं
  • बहुआरा बुजुर्ग के सभी ग्रामीणो के मशवरा से ये मदरसे का नाम मदरसा अशरफुल उलूम रक्खा गया था

  • बहुआरा बुजुर्ग गाँव मे   सन 1972  तक उर्दु अरबी फ़ारसी पढ़ने पढ़ाने का  कोई भी शिक्षा विद्यालय या मदरसा नही था
  • मदरसा अशरफुल उलूम की स्थापना / बुन्याद सन 1973 मे रक्खी गाई थी ईस मदरसे की बुन्याद रखने वले 6 मुक्खे सदस्य के नाम है

  1. मास्टर मशिहुज्जमा साहब
  2. मास्टर अनवारुल हक़ शाहाब
  3. डॉक्टर अब्दुल बाशीत साहब
  4. मौलवी मोहम्मद ईसा साहब
  5. मोहम्मद जाकीर हुसैन साहब
  6. मोहम्मद युनुस साहब(मुल्ला)

  • मदरसा बनाने का खयाल सबसे पहले मोहम्मद हसन साहब के मन मे आया
  • बहुआरा बुजुर्ग जामा मस्जिद के ईमाम मोहम्मद हसन साहब जो करहटया के रहने वाले थे मोहम्मद हसन साहब के मन मे ये खयाल आया की बहुआरा बुजुर्ग एक बहुत  बड़ी बस्ती हे और जियादह तादात मे मुस्लिम रहते हैं तो ये गाँव मे एक मदरसा होना चाहिये और ये प्लान/मन्सा लेकर मोहम्मद हसन साहब पहुंचे ग्रमीण मास्टर मसिहुज्ज़मा साहब के पास तो उन्होने ईमाम साहब की बात और प्लान  को सभी ग्रामीणो के बीच साझा किया और बहुआरा बुजुर्ग गाँव के सभी लोगो ने ईमाम मोहम्मद हसन साहब के प्लान/योजना को स्व्कार किया और उसके बाद सभी लोगो ने मदरसा बनाने का तय कर लिया


  • सन 1973 मे आपस मे एक(मीटिंग)मशवरा हुआ उस मशवरे से मुंतजमा कमेटी बनाई गई जिसमे 11 लोगो सामिल थें और वह 11 लोगो का काम था कोई भी (मुद्दे) मसले पर सब लोग मिल्कर फैसला लेते थे
  • उसके बाद मुख्य तौर पर एक समाजिक (मीटिंग) मस्वेराह हुआ और वह मस्वेराह मे ये तय हुआ की गाँव के सभी बांस के बिट से एक या दो कर के बांस काटा जाये
  • तो सभी लोगो ने जोसो खरोश मे ऐसा ही किया और एक दीन मे 126 बांस काट कर ले आये
  • मदरसा बनाने के लिये और उसके बाद


  • मदरसा एक सरकारी जमीन पर बनाया गया और वह जमीन एक सरकारी स्कूल की थी जिस स्कूल का नाम था प्राथमिक विद्यालय बहूआरा
  • सन 1973 मे वो जमीन पर बहुत जंगल था और उथल पुथल था उस जमीन को बहुत मेहनत और लगन के साथ सर बरोबर किया जिंका नाम था जाकीर हुसैन साहब और वह अब्दुल लतीफ़ साहब के पिता थे जो बहुआरा बुजुर्ग के निवासी हैं
  • सन 1973 मे मदरसा अशरफुल उलूम को बनाने मे बहुआरा बुजुर्ग गाँव के सभी लोगो का योगदान रहा हैं


  • सन 1973 मे मदरसा अशरफुल उलूम का सबसे पहला अध्यक्ष बने थें
  1. सदर: DR अब्दुल बाशीत साहब
  2. नायब सदर: अब्दुल लतीफ़ साहब
  3. सेक्रेटरी: मौलवी मोहम्मद ईसा साहब
  4. नायब सेक्रेटरी: मोहम्मद युनुश साहब
  5. खजांची: मास्टर मसिहुज्जमा साहब
  • ये 5 लोगो की (मदद) सय्योग के लिये 6 मेम्बर बने  वो 6 मेम्बर का नाम है
  1. मास्टर मोo अनवारुल हक़ साहब
  2. मोo नज़िम साहब
  3. मोo सम्सुज़ोहा साहब
  4. मोo बदरुदूज़ा साहब
  5. मोo मस्लेहुद्दीन साहब
  6. मास्टर तौहिद साहब
  • और  कुल मिला कर 11  लोगो का 1 ग्रुप था और ये ग्रुप सभी काम करने मे सय्यम थें
  • सन 1973 मे प्रथम(ओस्ताद)शिक्षक के रूप मे आयें
  • 1)हाफिज़ मोo हसन क्रहटया के रहने वाले थे
  • 2)हाफिज़ ईद मोहम्मद

  • सन 1975 मे भयंकर (सैलाब)बाढ़ आने के कारन मदरसा अशरफुल उलूम बाढ़ मे दह गया था उसके साथ साथ गाँव के काई घर भी दह गया था और गाँव छतिग्रस्त हो गया उस वक़्त बहुत बरे पैमाने पे


  •  बहुआरा बुजुर्ग गाँव का नुक्सान हुआ था 
  • (सन 1975)बाढ़ के बाद 2 वॉर्स तक बहुआरा बुजुर्ग गाँव मे ईस्लामी तालीम का मदरसा नही था
  • सन 1978 मे सभी ग्रामीणों को लेकर मुम्ताजमाह कमेटी ने (वापस)दोवारा से मदरसे का निर्माण किया था
  • सन 1978 मे मदरसा अशरफुल उलूम का सबसे प्रथम अध्यक्ष बने
  1. पहला सदर बने: अब्दुल बाशीत साहब
  2. पहला सेक्रेटरी बने : मास्टर अनवारुल हक़ साहब
  3. पहला नायब  सेक्रेटरी बने : अब्दुल लतीफ़ साहब
  4. पहला खजांची बने मौलवी मोहम्मद ईसा साहब
  • सन 1978 मे प्रथम(ओस्ताद)शिक्षक के रूप मे आयें
  1. क़री मोo ईफ्तेखर साहब , जो इज़रा गाँव के रहने वाले थे
  2. हाफिज़ मोo हसन साहब ,जो करहटया गाँवके रहने वाले थे
  3. अब्दुल मालिक साहब ,जो इज़रा गाँव के रहने वाले थे
  • सन 1978 मे मौजुद बहुआरा जामा मस्जिद के ईमाम  मोहम्मद हसन साहब को मदरसा अशरफुल उलूम मे औस्ताद बन्ने का मौका मिला था और उन्होने बाखुबी जिम्मेदारी के साथ निभाएँ थे


  • मदरसा अशरफुल उलूम एक सरकारी जमीन पर होने की वजह से उस मदरसे को सन 2012 मे शहीद करके
  • मजार के नाजदीक बहुआरा बुजुर्ग मर्ग रोड के किनारे मे  पांच
  • कटठा निजी जमीन पर बनाया गया है ये जमीन बहुआरा बुजुर्ग गाँव के निवासी पुंने दान यानी सवाब के नियत से दे दियें हैं



मदरसा अशरफुल उलूम को पांच लोगो ने मिलकर जमीन दान (वक़्फ) किया है
जमीन दान करने वाले खुशनसीबो का नाम है

1 Moquima Khatoon W/O Molvi md isa
2 Raquiba Khatoon W/O Haji Master md Yahiya
3 Aamina Khatoon W/O MD Ilyas
4 Saleha Khatoon W/O Izharul Haque
5 मोतावल्ली: Haji md Atharul Haque S/O Haji master md yahiya

  •  ये मदरसे मे , उर्दु ,अरबी ,फ़ारसी , हिन्दी, की तालीम दी जाती है ईसमे किसी भी धर्म समुदाय के बच्चे (तालीम) शिक्षा पा सकते हैं सभी के लीये पुरी आज़ादी है
  • For Example Nalani Ranjan is a Student of Madarsha Ashraful Uloom
  • उदाहरण के लिए ,मदरसा अशरफुल उलूम के(शागिर्द)
  • विद्यार्थी जीनका नाम है नालनी रंजन वो मास्टर रंजन पासवान जी की बेटी है


  • ये मदरसे की खास खूबियाँ ये है की बहुआरा बुजुर्ग गाँव के बच्चों के एलावा दूर दराज़ गाँव के गरीब यतिम बच्चों को भी मुफ्त मे हफिज़े कुरान की तालीम दी जाती है

  • मदरसाअशरफुल उलूम में वर्तमान मे लगभग 150 बच्चे (तालीम) शिक्षा
  •  पा रहे हैं जिसमे लगभग 50 बच्चे दुसरे गाँव से
  • तालीम हासिल कर्ने के लिये आये हुऐ हैं

  • मदरसे मे वर्तमान मे अभी 4 शिक्षक (मोदर्रिस) है और खाना बनाने वाले 3 बावर्ची है
  • शिक्षकों मे से 1 शिक्षक जो पिछ्ले 10 सालो से अबतक मदरसा अशरफुल उलूम के कामों को जिम्मेदारी से खिदमत अंजाम दे रहें हैं जिंका नाम है जमाल अब्दुल नाशीर क़ासमी साहब

  • वर्तमान के अधिकारियों के नाम
  1. सदर- अब्दुश सफ़ी साहब
  2. नायब सदर - मौलाना महताब साहब    
  3. सीक्रेटरी - अब्दुल हई साहब
  4. नायब सीक्रेटरी - मौलाना समीर साहब
  5. संयुक्त खजांची       - हाजी अतहारूल हक़ साहब
  6. Joint Khajanchi-डीलर मोहम्मद एजाज साहब

मदरसा अशरफुल उलूम स्थानीय बहुआरा बुजुर्ग
ग्राम:   बहुआरा बुजुर्ग
Village: Bahuara Buzurg
डाक घर: हरिहरपुर
Post Office: Hariharpur
थाना:   कमतौल
Police Station: Kamtoul
प्रखण्ड: सिंहवाड़ा
Block: Singhvada
जिला: दरभंगा
District: Darbhanga
Pin Code 847306 (Bihar)
Website: www.bahuaraabtak.com
Youtbe-http://www.youtube.com/c/ASINSTRUTECH

Name of This History Researchers

  1. Amjad Shaikh
  2. Tanweer Ahmad (son of Rafi Ahmad)
  3. Writer : Amjad Shaikh

Biography of Al Rahmaniya Qabrishtan Bahuara Buzurg

अल-रहमानीया क़ब्रिस्तान बहुआरा बुजुर्ग बिहार दरभंगा,के ग्राम बहुआरा बुजुर्ग में सेकड़ो साल पुराना विशाल क़ब्रिस्तान हैं जो अल-रहमानीया क़ब्रिस्त...